गुरुवार, 26 मार्च 2009

मातृ वंदना - संजीव 'सलिल'


ममतामयी माँनंदिनी-करुणामयी माँ इरावती।
सन्तान तेरी मिल उतारें, भाव-भक्ति से आरती...

लीला तुम्हारी हम न जानें, भ्रमित होकर हैं दुखी।
सत्पथ दिखाओ माँ, बने सन्तान सब तेरी सुखी॥
निर्मल ह्रदय के भाव हों, किंचित न कहीं अभाव हों-
सात्विक रहे आचार, माता सदय रहो निहारती..

कुछ काम जग के आ सकें, महिमा तुम्हारी गा सकें।
सत्कर्म कर आशीष मैया!, पुत्र तेरे पा सकें॥
निष्काम औ' निष्पक्ष रह, सब मोक्ष पायें अंत में-
निश्छल रहें मन-प्राण, वाणी नित तम्हें गुहारती...

चित्रेश प्रभु केकृपा मैया!, आप ही दिलवाइये।
जैसे भी हैं, हैं पुत्र माता!, मत हमें ठुकराइए॥
कंकर से शंकर बन सकें, सत-शिव औ' सुंदर वर सकें-
साधना कर सफल, क्यों मुझ 'सलिल' को बिसारती...

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मंगलवार, 17 मार्च 2009

चित्रगुप्त वंदना -संजीव 'सलिल'


चित्र-चित्र में गुप्त जो, उसको विनत प्रणाम।
वह कण-कण में रम रहा, तृण-तृण उसका धाम ।

विधि-हरी-हर उसने रचे, देकर शक्ति अनंत।
वह अनादि-ओंकार है, ध्याते उसको संत।

कल-कल,छन-छन में वही, बसता अनहद नाद।
कोई न उसके पूर्व है, कोई न उसके बाद।

वही रमा गुंजार में, वही थाप, वह ताल।
निराकार साकार वह, उससे सृष्टि निहाल।

'सलिल' साधना का वही, सिर्फ़ सहारा एक।
उस पर ही करता कृपा, काम करे जो नेक।

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सोमवार, 16 मार्च 2009

चित्रगुप्त महिमा

चित्रगुप्त महिमा

जय-जय प्रभु चित्रेश की, नमन करुँ नत माथ।

जब भी जाऊँ जगत से, जाऊँ खाली हाथ।

जाऊँ खाली हाथ, न कोई राग-द्वेष हो।

कर्मों के फल भोग, सकूँ वह शक्ति देव दो।

करुणाकर करुणासागर कर में समेत लो।

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श्री भगवान

मिटाने भक्तों का दुःख-दर्द, जगत में आते श्री भगवान्...

जब मेरे प्रभु जग में आवें, नभ से देव सुमन बरसावें।
कलम-दवात सुशोभित कर में, देते अक्षर ज्ञान
मिटाने भक्तों का दुःख-दर्द, जगत में आते श्री भगवान्...

चित्रगुप्त प्रभु शब्द-शक्ति हैं, माँ सरस्वती नाद शक्ति हैं।
ध्वनि अक्षर का मेल ऋचाएं, मन्त्र-श्लोक विज्ञान
मिटाने भक्तों का दुःख-दर्द, जगत में आते श्री भगवान्...

मातु नंदिनी आदिशक्ति हैं। माँ इरावती मोह-मुक्ति हैं.
इडा-पिंगला रिद्धि-सिद्धिवत, करती जग-उत्थान
मिटाने भक्तों का दुःख-दर्द, जगत में आते श्री भगवान्...

कण-कण में जो चित्र गुप्त है, कर्म-लेख वह चित्रगुप्त है।
कायस्थ है काया में स्थित, आत्मा महिमावान
मिटाने भक्तों का दुःख-दर्द, जगत में आते श्री भगवान्...

विधि-हरि-हर रच-पाल-मिटायें, अनहद सुन योगी तर जायें।
रमा-शारदा-शक्ति करें नित, जड़-चेतन कल्याण
मिटाने भक्तों का दुःख-दर्द, जगत में आते श्री भगवान्...

श्यामल मुखछवि, रूप सुहाना, जैसा बोना वैसा पाना।
कर्म न कोई छिपे ईश से, 'सलिल' रहे अनजान
मिटाने भक्तों का दुःख-दर्द, जगत में आते श्री भगवान्...

लोभ-मोह-विद्वेष-काम तज, करुणासागर प्रभु का नाम भज।
कर सत्कर्म 'शान्ति' पा ले, दुष्कर्म अशांति विधान
मिटाने भक्तों का दुःख-दर्द, जगत में आते श्री भगवान्...

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