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II ॐ II
II श्री महालक्ष्यमष्टक स्तोत्र II
( मूल पाठ-तद्रिन हिंदी काव्यानुवाद-संजीव 'सलिल' )
नमस्तेस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते I
शंख चक्र गदा हस्ते महालक्ष्मी नमोsस्तुते II१II
सुरपूजित श्रीपीठ विराजित, नमन महामाया शत-शत.
शंख चक्र कर-गदा सुशोभित, नमन महालक्ष्मी शत-शत..
नमस्ते गरुड़ारूढ़े कोलासुर भयंकरी I
सर्व...
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यम द्वितीय चित्रगुप्त पूजन पर विशेष भेंट:
भजन:
प्रभु हैं तेरे पास में...
-- संजीव 'सलिल'
*
कहाँ खोजता मूरख प्राणी?, प्रभु हैं तेरे पास में...
*
तन तो धोता रोज न करता, मन को क्यों तू साफ रे!
जो तेरा अपराधी है, उसको करदे हँस माफ़ रे..
प्रभु को देख दोस्त-दुश्मन में, तम में और प्रकाश में.
कहाँ खोजता मूरख प्राणी?, प्रभु हैं तेरे पास में...
*
चित्र-गुप्त...
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शंका समाधान : कायस्थ कौन हैं?
संजीव वर्मा 'सलिल'*जिसकी काया में ''वह'' (परात्पr परम्ब्रम्ह जो निराकार है, जिसका चित्र गुप्त है, जो हर चित्त में गुप्त है) स्थित है, जिसके निकल जाने पर कहें कि 'मिट्टी' जा रही है- वह कायस्थ है. इस सृष्टि में उपस्थित सभी चर-अचर, दृष्ट-अदृष्ट कायस्थ है. व्यावहारिक या सांसारिक अर्थ में जो इस...