Saturday, April 12, 2025

मंगलवार, 29 अप्रैल 2014

doha salila: sanjiv

चित्र पर कविता: संजीव*  * अगम अनाहद नाद हीं, सकल सृष्टि का मूल व्यक्त करें लिख ॐ हम, सत्य कभी मत भूल   निराकार ओंकार का, चित्र न कोई एक चित्र गुप्त कहते जिसे, उसकाचित्र हरेक   सृष्टि रचे परब्रम्ह वह, पाले विष्णु हरीश नष्ट करे शिव बन 'सलिल', कहते सदा मनीष कंकर-कंकर में रमा, शंका का  कर अन्त अमृत-विष...