चित्रगुप्त महिमा
जय-जय प्रभु चित्रेश की, नमन करुँ नत माथ।
जब भी जाऊँ जगत से, जाऊँ खाली हाथ।
जाऊँ खाली हाथ, न कोई राग-द्वेष हो।
कर्मों के फल भोग, सकूँ वह शक्ति देव दो।
करुणाकर करुणासागर कर में समेत लो।
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सोमवार, 16 मार्च 2009
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