शुभाकांक्षा :
विनय यही है आपसे सुनिए हे सलिलेश!
रहें आपके द्वार पर खुशियाँ अगिन हमेश..
नये वर्ष में कट सकें भव-बाधा के पाश.
अँगना में फूलें 'सलिल' यश के पुष्प पलाश..
बुधवार, 29 दिसंबर 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें