मंगलवार, 6 नवंबर 2012

हे चित्रगुप्त भगवान...


हे चित्रगुप्त भगवान! करुँ गुणगान, दया प्रभु कीजे, विनती मोरी सुन ...

जनम-जनम से भटक रहे हम, चमक-दमक में अटक रहे हम

भव सागर में दुःख भोगें, उद्धार हमारा कीजे, विनती मोरी सुन लीजे...

हम याचक, विधि -हरि-हर दाता, भक्ति अटल दो भाग्य-विधाता

मुक्ति पा सकें कर्म-चक्र से, युक्ति बता प्रभु! दीजे...

सकल सृष्टि के हे अवतारक!, लिपि-लेखनी-मसि आविष्कारक।

हे jangan -मन के adhinayak !, sb jg tum par reejhe...

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें