
राघव ने शिव भक्तिमय, दिया गुंजा स्तोत्र।शिव भक्तों का एक ही होता है कुल-गोत्र।।डम-डम, डिम-डिम नाद सुन, कांपे निशिचर-दुष्ट।बम-बम-भोले नाचते, भक्त तुम्हारे तुष्ट।।प्रलयंकर-शंकर हरे!, हर हर बाधा-कष्ट।नेत्र तीसरा खोलकर, करो पाप सब नष्ट॥नाचो-नाचो रुद्र हे!, नर्मदेश ओंकार।नाद-ताल-सुर-थाप का, रचो नया संसार॥कार्तिकेय!-विघ्नेश्वर!, जगदम्बे हो साथ।...