सोमवार, 16 फ़रवरी 2009

चित्रगुप्त भजन : आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' - श्री चित्रगुप्त के श्री चरणों में

श्री चित्रगुप्त के श्री चरणों में

श्री चित्रगुप्त के श्री चरणों में, श्रृद्धा सहित प्रणाम करें।
तृष्णा-माया-मोह त्यागकर, परम पिता का ध्यान धरें।
श्री चित्रगुप्त के श्री चरणों में.....

लिपि- लेखनीके आविष्कर्ता, मानव-मन के पीड़ा-हर्ता।
कर्म-देव प्रभु, कर्म-प्रमुख जग, नित गुणगान करें।
श्री चित्रगुप्त के श्री चरणों में.....

किए वर्ण स्थापित चार, रचा व्यस्थित सब संसार।
जैसी करनी वैसी भरनी, मत अभिमान करें।
श्री चित्रगुप्त के श्री चरणों में.....

है दहेज़ दानव विकराल, आरक्षण प्रतिभा का काल।
सेवक तेरे स्वामी बनकर, श्रम का मान करें।
श्री चित्रगुप्त के श्री चरणों में.....

कायथ की पहचान कर्म है, नीति-निपुणता सत्य-धर्म है।
मर्म-कुशलता-व्यावहारिकता, कर्म महँ करें।
श्री चित्रगुप्त के श्री चरणों में.....


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